सहज कृषि अनुसंधान कार्य
सहज योग की चैतन्य लहिरयों का प्रभाव एवं सहज कृषि की उपलब्धियाँ
श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा प्रेणित सहज योग का प्रभाव न केवल मानव के उत्थान के लिए वरन जीवात्मा या जीवन में भी इनके प्रभाव वैज्ञानिक अनुसंधानो ट्वारा देखने को मिले हैं| मानव के अंदर रीढ़ की हड्ड्डी के नीचे त्रिकोणाकार अस्थि में कुण्डलिनी की शक्ति साढ़े तीन कुण्डलों में सोई अवस्था में विराजमान है। श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा आत्म साक्षात्कार प्राप्त करके इस शक्ति को जागृत किया जा सकता है। श्री माताजी ने बतलाया कि ““बाइब्रेशन्स (चैतन्य लहरियां/ स्पंद) एक जीवन्त प्रक्रिया है। जो सोचती है और कार्य करती है।’” इन चैतन्य लहरियों का प्रभाव सभी जीवन्त चीजों पर क्रमशः पृथ्वी-पानी वनस्पति वातावरण के साथ-साथ मानव के उत्थान पर भी पडता है।
इस संदर्भ में कृषि के क्षेत्र में सहजयोग की चैतन्य लहरीयों का प्रभाव कृषि, पशुपालन, उद्यान इत्यादि पर देखने को मिले । कृषि के क्षेत्र में विश्व के कई अनुसंधान केन्द्रों पर प्रयोग किये जा चुके है। जिसके उत्साहजनक परिणाम की जानकारी आपको दी जा रही है।
ऑस्ट्रिया
- वर्ष 1986में बीना ( आस्ट्रिया) के वैज्ञानिक डॉ. हमीद माईलेनी ने पशुओं में चैतन्य मय पानी का उपयोग करके उनके वजन में 15 प्रतिशत तक वृद्धि देखी गई है ।
- वर्ष 1986में वैज्ञानिक डॉ. हमीद माईलेनी वीना ( आस्ट्रिया) ने सूरजमुखी एवं मक्का फसल में चैतन्य मयी पानी के उपयोग कर अच्छा अंकुरण के साथ 20-25 प्रतिशत ज्यादा पैदावार प्राप्त की ।
- श्री माताजी निर्मला देजी की असीम अनुकम्पा से साधारण पानी केआणविक संरचना आक्सीजन व हाईड्रोजन 105 डिग्री व 28 मिनिट है लेकिन चैतन्यमयी लहरों / स्पंदन से पानी के आणविक संरचना में परिवर्तन देखा गया तथा घुलनशील क्षमता में सुधार देखा गया | डॉ. हमीद माईलेनी जीना ( आस्ट्रिया ) वर्ष 1986
अनुसंधान कार्य: सामान्य पानी को श्रीमाताजी के समक्ष रखकर चैतन्यमय करने से पानी की आणविक संरचना में परिवर्तन, घुलनशीलता में वृद्धि तथा हाईड्रोजन व ऑक्सीजन के बांड एंगल में परिर्वतन देखा गया ।
पानी पर हुए अनुसंधान कार्य इस प्रकार हैं :
परीक्षण-1 चैतन्य का पानी की गुणवत्ता, शुद्धिकरण पर प्रभाव
परिणाम – पानी की शद्धता 10-70 पतिशत तक बढ़ी
परीक्षण-2 चैतन्य का पानी की गुणवत्ता पर प्रभाव (15 मि.ली. चैतन्यमय पानी को 1.5 लीटर सामान्य पानी में मिलाने से प्रभाव )
परिणाम– पानी की संरचना में ज्यादा परिवर्तन नहीं लेकिन पानी की क्वालिटी में सुधार, पीने योग्य
परीक्षण 3:– चैतन्य का पानी की गुणवत्ता पर प्रभाव (5 मि.ली. चैतन्यमय पानी में आधा लीटर पानी बरबेरा नदी का प्रदूषित पानी को सिल्नाने के ब्वाद प्रभाव)
परीणामः– नदी के पानी की क़्वालिटी में सुधार, पीने योग्य
राजस्थान
- महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर वर्ष 2002 में मूँगफली की फसल में सहज कृषि तकनीक अपनाने से 73 प्रतिशत उत्पादन में वृद्धि हुई।
- गेहूँ की फसल में वर्ष, 2002-2004 दो वर्ष लगातार फार्म हाउस न्यू सांगानेर रोड़, जयपुर में सहज कृषि से 25-30 प्रतिशत उत्पादन वृद्धि के साथ-साथ बीज का अंकुरण जल्दी व ज्यादा, जड़ों का अच्छा विकास, अच्छी बढ़वार एवं चमकदार दाने देखने को मिले । उत्पादित गेहूँ का आटा श्री माताजी को कवैला (इटली) को भेजा गया (श्री जी.डी. पारीक मो. 98284 51514)
अनुसंधान कार्य
परीक्षण- 1 दैवीय चैतन्य का गेहूँ की बढ़वार/ उत्पादन पर प्रभाव वर्ष 2002-03 जयपुर
परिणाम- चैतन्यमय क्षेत्र में गेहूँ का उत्पादन 25 से 30 प्रतिशत बढा ।
परीक्षण- 2 दैवीय चैतन्य का गेहू की बढ़वार / उत्पादन पर प्रभाव वर्ष 2003-04 जयपुर
परिणाम– कंट्रोल प्लाट के वनस्पत चैतन्य प्लाट में गेहूँ का उत्पादन 20 से 25 प्रतिशत बढा
कृषक श्री अनिल यादव गांव बगराना (कोटपुतली) के यहा नीब्यू के पौधों सहज कृषि तकनीक से दुगना उत्पादन चमकदार एवं दाग रहित नीचू प्रास किये गये ।(मो.) 8107717887
- राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र अजमेर(4-7 फरवरी 2014) को डॉ. लोकेश शेखावत बाईस चांसलर, कृषि यूनिवर्सिटी अजमेर द्वारा सहज कृषि प्रदर्शनी को उत्कर्ष अवार्ड से सम्मानित किया।
- अजमेर, उदयपुर जिलों में 500 से अधिक गाँवों का चयन कर सहजयोग-सहज कृषि को जानकारी 125 गाँवों में 35,000 से ज्यादा कृषक लाभान्वित।
- गत 2 वर्षों में 3 राष्ट्रीय कृषि सेमिनार जयपुर में आयोजित कर 473 सहजीयों को प्रशिक्षित किया तथा तकनीकों साहित्य बुकलेट 50,000, पेम्पलेट्स 2.5 लाख, स्टीकर्स 15,000, चैतन्यमय उनत बीज 4.5-5.0 कवि. निःशुल्क वितरण किया। गत दो वर्षों में विभिन्न राष्ट्रीय सेमिनार एवं पूजाओं में सहज कृषि प्रदर्शनी का आयोजन कर 60,000 में अधिक सहजी भाई-बहनों सहज कृषि की जानकारी दी गई।
- गाँव कनौड़ (उदयपुर) में श्री मांगीलाल गायरी ने मक्का, बाजरा व अन्य खरीफ फसलों में नीलगाय (रोजड़े) खेत में घुसकर बहुत नुकसान करते थे लेकिन सहज कृषि तकनीक अपनाने से कोई नुकसान नहीं हुआ, ना ही नील गाय खेत के अन्दर गई।
- राष्ट्रीय कृषि सेमिनार के निर्णयानुसार एवं नेशनल सहजयोज ट्रस्ट, नई दिल्ली के अनुमोदन पश्चात् 2012 -13 में राष्ट्रीय सहज कृषि प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन प्रथम चरण में 10 राज्यों क्रमश: राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा,केरल, हिमाचल प्रदेश इत्यादि में किया गया । प्रत्येक राज्य में 3 जिले चयनकर10,000 कृषकों को प्रशिक्षित कि या गया । इस प्रकार करीबन एक लाख से ज्यादा कृषकों को सहजयोग-सहज कृषि की जानकारी दी गई। द्वितीय चरण में वर्ष 2014-15 में 10 राज्यों क्रमशः झारखंड,छत्तीसगढ़, पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक, बिहार, जम्मूकश्मीर,असम, तमिलनाडु, अरुणाचलप्रदेश, त्रिपुरा, का चयन करके सहजयोग-सहजकृषि कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में किये जावेंगे।
- अन्तर्राष्ट्रीया जन्म पूजा छिन्दवाड़ा में 20 मार्च 2014 को सहज कृषि की वेबसाइट का उद्घाटन श्री दिनेश राय आई.ए,एस. एवं बाईस प्रेसीडेन्ट, नेशनल ट्रस्ट नई दिल्ली, श्रीचन्द चौधरी, नेशनल ट्रस्टी एवं अध्यक्ष, सहज योग प्रसार-प्रचार कमेटी, डा. एम. वी. कुलकर्णी नेशनल ट्रस्टी एवं श्री जी.डी. पारीक सैक्रेटरी, राष्ट्रीय सहज कृषि प्रोजेक्ट द्वारा किया गया। बेबसाइट का नाम www.sahajkrishi.com है।
- विभिन राज्यों के 1358 कृषकों से प्राप्त फीडबेक के अनुसार सहज कृषि तकनीक अपनाने से अनाज, दलहनी, तिलहनी, धान, गन्ना, सूरजमुखी, लहसुन इत्यादि के उत्पादन में 1.0 से 1.5 गुना ज्यादा उत्पादन तथा क़्वालिटी में सुधार देखा गया। सोयाबीन, फूलगोभी में अंकुरण की समस्या थी लेकिन चैतन्यमय करके बोने से 20 प्रतिशत तक अंकुरण ज्यादा एवं जल्दी अंकुरण हुआ।
महाराष्ट्र
- सहजकृषि के क्षेत्र में महाराष्ट्रराज्यअग्रणी है तथा उल्लेखनीय कार्य हो रहा है श्री्मनोहर जोशी मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री मंत्रालय मुम्बई के द्वारा डॉ. सेनगरी द्वारा किये गये सराहनीय कार्य हेतु नोबेल पुरस्कार शान्ति कमेटी के सदस्यों को अर्द्धशासकीय पत्र दिनांक 18-10-1985 को लिखा गया
- कृषि विश्व विद्यालय राहुरी (महाराष्ट्र) के प्रो. डा. सैनगरी ने गेहूँ / सूरजमुखी की फसलों से सहज कृषि से 2 गुणा ज्यादा पैदावार प्राप्त की | सहजयोग की चैतन्य लहरियों से स्वस्थ्य पशु एवं दुग्ध उत्पादन में ज्यादा वृद्धि देखी गई इस उत्कर्ष कार्य के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- राहुरी कृषि विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में कृषि पर शोध कार्य किया गया जिसके उत्साहजनक परिणाम इस प्रकार है:
- पौधों की बढ़वार : 0-42.9 प्रतिशत तक वृद्धि
- अंकुरण में वृद्धि : 0-20 प्रतिशत
- उत्पादन में वृद्धि: 14.3 – 50 प्रतिशत अधिक पैदाबार तक
- पक्षियों के शरीर बजन में वृद्धि, अंड़ों देने की क्षमता में वृद्धि
- कृषक श्री वि. ज. तांवर खानगांव (नासिक) मो. 09922483612 सहज कृषि करने से मुझे हिरण एवं बन्दर ने फसल को कोई नुकसान न होने से फसल अच्छी हुई।
- सहजी कृषक श्री. पी.आर. टी. बहाडे मो.: 09552273001, श्री कल्याण, श्री किरण, एस शिन्दे, श्री गनानन चिनचुटकर द्वारा राष्ट्रीय सहज कृषि प्रोजेक्ट के अन्तर्गत कृषि परीक्षण किये गये।
परिणाम इस प्रकार है-
उत्तराखंड
- सहजयोग चैतन्य लहरियों का प्रभाव शुद्ध दुग्ध उत्पादन में देखा गया। श्रीमती किरण सिंह (सहजी) ग्राम भोगपुर जिला हरिद्वार स्थित महिला भोगपुर दुग्ध उत्पादन सहकारी समिति में सहजयोग की चैतन्य लहरियों को पशुओं, चारा, पानी में देकर दुध की उत्तम क्वालिटी एवं रिकोर्ड दुग्ध उत्पादन प्राप्त किया।
- भैस को चैतन्यमयी चारा एवं पानी देने से पशु स्वस्थ्य होने के साथ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई पहले 5 किलो दूध देती थी धीरे-धीरे बढकर 2 किलो तक हो गया।
- उत्तराखंड में पोपलर पेड़ों का वृक्षारोपण किया जाता है । 700 पोपलर पेडो में चैमन्यमयी पानी का प्रयोग कर 4 वर्ष में 2.5 फुट मोटाई का तना मिला जबकि अन्य खेतों में बिना चैतन्यमय पानी के यह मोटाई 5 वर्ष में देखने को मिली।
- गेहूँ की फसल में चैतन्य पानी एवं बीज का प्रयोग कर 2 गुना ज्यादा पैदावार मिली। गन्ना एवं धान में भी ज्यादा उत्पादन हुआ। ( श्री जगपाल सिंह हरिद्वार 01334242123, मो.805780937)
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के सहजी डॉ एच. आर. जैसवाल सब्जी वैज्ञानिक द्वारा गांव हरसान, कपकोट में चैतन्यमय लौकी बीज वितरण कर सहजी कृषक श्री प्रेम सिंह बसेड़ा के 3 फुट लम्बी (5 बैल में 100 से अधिक लौकी जिसमें15 लौकी 2.5-3 फुट की आई। पूर्व में लौकी अधिकतम 2 फुट लम्बी थी इसी प्रकार टमाटर, भिण्डी व गुलाब, गुलदाऊदी में चैतन्य ‘लहरियों का प्रभाव देखा गया तथा उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई।
उत्तर प्रदेश
- सहजी डॉ. विनोद कुमार एसोसिएट प्रोफेसर फसल अनुसंधान केन्द्र-घाघरा घाट जि. बहराइच नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय फैजाबाद ( यू पी.) मो.: 09415764397 द्वारा धान एवं पपीता में अनुसंधान कार्य किया। धान की फसल में चैतन्मय बीज-पानी का उपयोग करने से 29 प्रतिशत अधिक पैदावार हुई तथा पपीता बड़े साईज (1.5 गुना) के प्राप्त हुये। धान में किये गये शोध कार्य के परिणाम इस प्रकार है –
- राष्ट्रीय सहज कृषि प्रोजेक्ट के अन्तर्गत कृषकों द्वारा परीक्षण किये गये परिणाम इस प्रकार है-
- बिजनौर जिले में सघन ग्रामीण सहज योग-सहज कृषि अभियान दिनांक 29 सितम्बर से 6 अक्टूबर 2013 को 20 गांवों में किया गया । जिसमें 10,000 से ज्यादा कृषकों को सहजयोग-सहज कृषि की जानकारी दी गई। आत्मसाक्षात्कार भी दिया गया ग्रामीण क्षेत्रों में सहज योग केन्द्र स्थापित किये गये।
मध्यप्रदेश
- सघन सहज योज-सहज कृषि अभियान जिला खरगौन में 104 गांव, भागफल (बड़वा) 25 गांव, मनसौर नीमच, जाबरा में 58 गांव कुल 8 गांवों में कार्यक्रम आयोजित कर 45,000 से अधिक ग्रामवासियों का लाभान्वित किया गया।
- छिन्दवाड़ा से 200 किमी. दूर सहजी कृषक श्री विजय पटेल मो. 09425360783 ने चैतन्यमय गन्ना की फसल की । अन्तर्राष्ट्रीय जन्म दिवस पूजा 21 मार्च 2014 को गन्ना के 10-10 बण्डल लेकर आये ।जिनकी लम्बाई करीबन 14-15 फुट थी जबकि कंट्रोल खेत में 10-11फुट आई।
- गले, मक्का की फसल में सुअर नुकसान पहुँचाते थे, जब वहाँ चैतन्य अनाज व पानी का उपयोग किया तो सुअर ने नुकसान नहीं पहुँचाया, ना ही खेत में गये। श्री शान्तिलाल भागफल बड़वा खरगौन जिला म.प्र. मो. 09926834422
- प्राचार्य मानस स्कूल धार( म.प्र.) के विद्यार्थियों ने सहज कृषि पर 200 पेज की सीडी तैयार की है।
उड़ीसा
- सहजी डॉ. वी. के. मोहन्ती प्रोफेसर उड़ीसा कृषि विश्वविद्यालय भुवनेश्वर के अथक प्रयासों से 1700 आदिवासी कृषकों को आत्मसाक्षात्कार देकर सहज कृषि अपनाने का उत्साहजनक कार्य किया तथा ग्रामीण क्षेत्रों में सहजयोग के केन्द्र स्थापित किये गये । राष्ट्रीय सहज कृषि प्रोजेक्ट में अन्तर्गत कृषकों को खेतों में कृषि परीक्षण धान, गेहूँ, फसलों में आयोजित किये गये। उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हुए।
झारखंड
स्टेट कार्डीनेटर झारखंड के अथक प्रयासों से 15 दिवसीय (22 फरवरी से 6 मार्च 2014) ग्रामीण सहज योग एवं सहज कृषि का अभियान शुरु किया गया जिसमें15 गांवों में 3000 से अधिक कृषकों को आत्म साक्षात्कार देकर सहज कृषि अपनाने के लिए प्रेरित किया गया। शिव की के दौरान सहज कृषि प्रदर्शनी का आयोजन कर 2000 सहजियों को सहज कृषि की जानकारी दी गई। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर से समन्वय कर सहज कृषि पर अनुसंधान कार्य करने हेतु स्वीकृति दी तथा मई-जून माह में सहज कृषि पर वर्कशॉप आयोजन की सिफारिश की। डॉ. नितिन चौधरी कृषि सचिव ( आई.ई.एस.) से समन्वय कर कृषि विभाग के माध्यम से सहज कृषि के प्रसार-प्रचार हेतु निवेदन किया। पूर्व में सभी स्टॉफ-कार्यकर्त्ताओं की वर्कशॉप आयोजन हेतु बतलाया अग्रणी एन.जी.ओ. ( कृषि ज्ञान विकास केन्द्र) से वार्ता की गई। सहज योग एवं सहज कृषि के कार्य करने में अपना रुझान प्रदर्शित किया है।
आंध्रप्रदेश
राज्य में कृषि वर्कशॉप कर आयोजन कर 62 सहजी कृषकों को प्रशिक्षित किया गया। सहज कृषि पर तेलगु भाषा में प्रस्तुतीकरण तैयार कर गांव-गांव में जानकारी दी जा रही है । राष्ट्रीय सहज कृषि प्रॉजेक्ट का तहत कृषि परीक्षणों का आयोजन किया जा रहा है। सहज कृषि पर अनुसंधान अनुसंधान कार्य करने हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली से समन्वय कर दो प्रोजेक्ट लिये गये हैं। जिनपर शोध कार्य शीघ्र किये जायेंगे।
हिमाचल प्रदेश
सहजी डॉ. बीरेन्द्र सिंह प्रोफेसर हिमाचलप्रदेश कृषि यूनिवसिटी सहज कृषि में कार्य हेतु प्रयासरत अन्य राज्यों में सहज कृषि परीक्षण एवं गांवों में प्रचार-प्रसार का कार्य प्रगति पर है।
विश्व के विभिन देशों में सहज कृषि पर अनुसंधान कार्य एवं गाँवों में प्रचार-प्रसार किये जा रहे हैं । जिनके परिणाम उत्साहजनक मिल रहे हैं | श्रीमाताजी का सपना था कि सहज योग-सहज कृषि गाँव-गाँव में फैलाए, आओ हम सब मिलकर माँ का सपना साकार करें।