सहजी भाई बहनों के निर्मल चित्त के कुछ उदगार
सहजी भाई बहनों के निर्मल चित्त से जन्मी -कुछ मधुर गीत और कविताएं!!
सहज कृषि पर गीत एवं कवियायें
- सहज कृषि प्यारी लगे
म्हारा खेता में आई बहार, खेती मने प्यारी लगे। सहज कृषि प्यारी लगे।
म्हारा खेता में गेहूँ जुवार, मक्की मने प्यारी लगे। सहज कृषि प्यारी लगे॥
सहज कृषि अपनाओ म्हारा भाई, धरती ने मेहंदी लगाओ मेरे भाई। अब तो चैतन्य की होवे बरसात। सहज कृषि प्यारी लगे॥ म्हारा खेता में छाई बहार, सहज कॄषि प्यारी लगे।
चैतन्य बीज पानी करके भैया, सहज कृषि अपनाओ भैय्या।
अब तो धान का होवे भण्डार, सहज कृषि प्यारी लगे॥
कुँआ खोदाई पानी पंप लगाऊँ, सींचो धरती होवे अन्न अपार। सहज कृषि प्यारी लगे। चैतन्य बीज पानी खेता में डालो, तब होवे धान अपार।
गेहूँ मालवी ने पीसी मिक्सीकन, लीला होया री आई बहार॥
अम्बो मने प्यारी लगे।
- हम भारत के भारत अपना
हम भारत के भारत् अपना, ऋषि मुनियों का देश, ध्यान लगाओ सहजी बनाओ, यही आन संदेश।
हम भारत के सहजी सारे, सबको सहज बनाना है।
बंधन ले लो कुण्डलिनी जगाओ, यही आज संदेश॥
तीन मँत्र यह महामँत्र है, इनको बोलो सह्जी। चेतन की सरिता से सबकोआज मिलाना है।।
हम भारत के भारत अपना,ॠषि मुनियों का देश।
ध्यान लगाओ यही आज संदेश॥
- मालव धरती ने पर पायो
मालव धरती ने पर पायो, भैय्या सोयाबीन उगायो है। सहज कृषि अपनाओ रे।
कम लागत में ज्यादा धान है कमायो, धन्य है किसान जिन्हें सोयाबीन उगायो॥
मालव धरती पर पायो भैय्या ,पौष्टिक इनको तेल है भैय्या।
पौष्टिक व्यंजन भायो है इनके स्वयं ने स्वाद लिलो॥
सब तरफ से फायदो दुगनो धान कमानो है। अपनी मालवी धरती पर सोयाबीन उगाने है॥
जैविक खाद डालि के भैय्या खर पतवार कटानो है।
मालव धरती ने वर पायो नगद फसल सोयाबीन भैय्या॥
चाँदी सोनो कमानो है इनकी फसल सिके भैय्या।
दुगनो धन कमानो है॥
- कदम कदम सह्जी बनाते चलो
कदम कदम सहजी बनाते चलो, उठो कि सहज दीप जलाते चलो। मुफ़्त खोरिया छोड़ दो अहंकार छोड़ दो, सत्य पथ पर चल के दीप जलाते चलो॥
दीप से दीप जलाते चलो, माँ की शक्ति महान, माताजी को मान लो। अहंकार छोड़कर माताजी को जान लो॥
दीन दुखियों को गले लगाके चलो, उठो भी सहज दीप जलाते चलो।
कदम कदम पे नये सहजी बनाते चलो, उठो कि सहज दीप जलाते चलो॥
- सहज कृषि अपना कर जागा भाग्या तुम्हारा
सहज कृषि अपना कर जागा भाग्य तुम्हारा, बदल गया किसान हमारा।
बदल गई युग धारा है, बदल गया इतिहास हमारा॥
बदल गया जीवन सारा है. खेत खेत में गेहूँ बोकर.
चेतन रस बरसा दो, सहज कृषि ने अब बदला जीवन सारा॥
धन्य हुये किसान हमारे, धन्य भाग हमारा,
दे कर सहज का सहारा माताजी ने।
बदल पानी रख दो, चौबीस घंटे में जाकर, बीज पानी खेत में डालो॥
सहज कृषि अपना कर जागा भाग्य हमारा॥
सहज कृषि है श्री माँ का वरदान।
देती है हमे भरपूर अन्न का दान॥
सहज कृषि से चैतन्यमयी खेती करेंगे।
चैतन्यमयी श्रीमाँ का प्यार विश्व में फैलायेंगे॥
कृष्ण शब्द से कृषी शब्द का उदभव हुआ।
श्रीमाँ की कृपासे सहज कृषी का निर्माण हुआ॥
श्रीमाँ कृपासे सामुहीक ध्यान खेती में करेंगे। नारियल प्रक्रिया से श्रीगणेशतत्व प्रस्थापित करेंगे॥
रसायन मुक्त खेती है इस काल की महत्वपूर्ण जरूरत।
सहज कृषि से पुरी होगी यह हर किसान की जरूरत॥
श्री शाकंभरी देवी की पूजा एवं अर्चना करेंगे।
सुजलाम-सुफलाम धरती बने यह प्रार्थना करेंगे॥
आओ चले, आओ चले सहज कृषि की ओर, परमेश्वरी साम्राज्य और निसर्ग खेती की ओर।
श्री ऋतंभरा प्रज्ञा माँ से याचना एवं कामना करेंगे।
खेती की हमारी रक्षा करो यह हृदय से प्रार्थना करेंगे॥
अलख जगाओ, अलख जगाओ,
सहजयोग, सहज कृषी फैलाओ।
आदिशक्ति श्रीमाताजी का यही है दिव्य सपना,
आत्मसाक्षात्कारी हो विश्व का हर एक आत्मा।
आओ हम सभी सहजयोगी एक वचन निभायेंगे,
शुद्ध निर्मल कार्य शक्ति से श्रीमाँ का सपना साकार करेंगे।
- गांव गांव में हो रहा प्रचार सहज कृषि है जीवनाधार
गांव गांव में हो रहा प्रचार। सहजकृषि है जीवनाधार।। सहजकृषि का ले के सहारा।रोग मुक्त हो ये विश्व सारा।।१॥
सहजकृषि सब अपनायें। खेतों में फसलें लहरायें।। उचित दाम फसलों का पायें। किसानों के चेहरे मुस्करायें।।२॥
स्वास्थ्य लाभ सबको पहुंचायें। सहज कृषि से रोग भगायें॥। कई गुना दाम इसके पायें। देश से हम गरीबी हटायें॥३॥
सहजकृषि को है अब अपनाना। रोगों से है छुटकारा पाना।। खेतों में चैतन्य बरसाये।जैविक इसमें खाद लगायें।।४॥
कई गुना उत्पाद हम पायें। किसानों के चेहरे पर खुशहाली लायें।। कई गुना दाम वो पायें। । सहज कृषि का वे लाभ उठायें॥५॥
रसायन से भरी धरा है।अन्न भी सारा जहर भरा है।। जैविक खेती का लेके सहारा। रोग मुक्त हो जीवन हमारा।।६॥
कीटनाशक से मिले छुटकारा। जीवन रोग मुक्त बने हमारा।। सहजकृषि गांव गांव में पहुंचायें। कीटनाशक को दूर भगायें।।७॥
श्री माताजी की है ये बानी।सहजकृषि सबने अपनानी।। रसायन से धरती भर दी।जहरीली सब फसलें कर दी।।८॥
जहरीला उत्पादन अब हो रहा। खा कर हर कोई रोगी हो रहा।। सहज कृषि को है अपनाना।रोगों से है छुटकारा पाना।।९॥
खेतों में अब चैतन्य बरसावो। जैविक इसमें खाद लगावो।। कई गुना दाम इसके अब पावो। देश से गरीबी दूर भगावो॥१०॥
सुनो रे भाई, सुनो रे भाई।
सहज कृषि की बात है आई।।
प्रभु शक्ति धरती पर आई।
आदि मां की कृपा है छाई।।
पहले मां निर्मल को मानो।
हाथों में चैतन्य को जानो। ।
यही चैतन्य अब करे कमाल।
खेतों को ले वही संभाल।।
बीजों को मां सम्मुख रख के।
मां की कृपा से जागृत करके।।
प्रभु प्रसाद धरती में डार।
चैतन्य जल की उन पर धार।।
गांव गांव मेला सा लागा।
सहज कृषि का मंच है साजा।।
खर्चा कम बढता धन-मान।
अब तो आ और सहज को जान।।
फिर देखो कृषि की बहार।
आंखों पर ना हो विश्वास।।
अन्न अनाज की उपज बढ़ाएं।
किसान भाइयों को धनी बनाएं।।
जीवन में खुशहाली होगी।
खेतों में हरियाली होगी।।
चहूॅ और धन्य धान्य दिखेंगे।
पशु पक्षी सब जीव पलेंगे।।
प्रभु की जादूगरी है छाई।
प्रभु शक्ति धारा पर छाई।।
सुनो रे भाई, सुनो रे भाई।।