सहज योग ध्यान कैसे करें ?
ध्यान प्रारम्भ करने से पहले तथा ध्यान के पश्चात् कुण्डलिनी उठाना
ध्यान प्रारम्भ करने से पहले तथा ध्यान के पश्चात् हम अपनी कुण्डलिनी को किस प्रकार उठायें तथा किस प्रकार बंधन ले । इसे नीचे प्रकाशित किया गया है।
कुण्डलिनी उठाना
यह प्रक्रिया हमारे कुण्डलिनी शक्ति को उठाने तथा हमारे चित्त को स्थिर करने में मदद करती हैं । यह ध्यान से पहले तथा ध्यान के बाद हमारे लिए मददगार है|
बंधन लेना
संतुलन और ध्यान
ध्यानावसथा प्राप्त करने के लिए स्वयं को संतुलन में लाना आवश्यक है (संतुलन का अर्थ – भूतकाल व भविष्यकाल के बिच से परे वर्तमान में आना हैं) शरीर के बाएं तथा दायें भाग को शुद्ध करके संतुलन प्राप्त किया जा सकता है | उसकी विधि निम्नलिखित हैं :-
पानी पैर क्रिया
ये कहना अनावश्यक होगा कि सहजयोगियों को प्रतिदिन पानी पैर क्रिया अवश्य करनी चाहिए क्योंकि हम सब गृहस्थ हैं और सामाजिक प्राणी हैं । हर समय जाने-अनजाने हम अपने कानों, आँखो, नाक आदि विज्ञापनों तथा बात-चीत के माध्यम से बाधाओं को अपने अन्दर खींचते रहते हैं | इस प्रकार हम निरन्तर बहुत सी नकारात्मकता अपने चक्रों तथा नाड़ियों में भर लेते हैं जिसे बाहर से नहीं देखा जा सकता । अपने सूक्ष्म तंत्र और नस-नाड़ियों को यदि हम प्रतिदिन साफ नहीं करते तो हमारा बाधित नाड़ी-तंत्र कुण्डलिनी एवं चैतन्य -लहरियों को ठीक से प्रवाहित न कर पाएगा ।
पानी में पैर डालकर जब हम बैठते हैं तो पानी पड़ा हुआ नमक हमारे मूलाधार चक्र को शुद्ध करता है । वैज्ञानिक रूप से भी, हम जानते है ; नमक में पृथ्वी तत्व का बाहुल्य है । जब बिजली की तारों का पृथ्वीकरण करना होता है तो तार डालने के लिए खोदे गए गड्ढे में नमक भी डाला जाता हैं । जल तत्व नाभि को शुद्ध करता है, दीपक की लौ (अश्नितत्व) स्वाधिष्ठान चक्र को बाधा मुक्त करती है, वायु हृदय को, आकाश विशुद्धि को, दीपक का प्रकाश आज्ञा चक्र को तथा श्रीमाताजी की फोटो से प्रवाहित होने वाली चैतन्य लहरियाँ सहस्त्रार चक्र को बाधा -मुक्त करती हैं | इस प्रकार से हम अपने सूक्ष्म तंत्र को स्वच्छ कर सकते हैं | पानी पैर क्रिया करते हुए अपनी आँखे खुली रखें।